मध्यप्रदेश ने बारासिंघा संरक्षण में बनाई विश्व-स्तरीय पहचान
मध्यप्रदेश ने बारासिंघा संरक्षण में बनाई विश्व-स्तरीय पहचान



कान्हा टाइगर रिजर्व में बारासिंघा का पुनरूस्थापन विश्व की वन्य-प्राणी संरक्षण की चुनिंदा सफलताओं में से एक है। कान्हा में हार्ड ग्राउण्ड बारासिंघा मात्र 66 की संख्या तक पहुँच गये थे। प्रबंधन के अथक प्रयासों से आज यह संख्या लगभग 800 हो गई है। अवैध शिकार और आवास स्थलों के नष्ट होने से यह प्रजाति विश्व की कुछ अति-संकटग्रस्त वन्य-प्राणी प्रजातियों में शामिल है।
भारत में बीसवीं शताब्दी में बारासिंघा की आबादी में एक अत्यंत चिंतनीय बदलाव देखा गया था। इस दौरान नर्मदा, महानदी, गोदावरी और सहायक नदियों की घाटियों में खेती की जा रही थी। बारासिंघा के समूह जैविक दबाव के कारण बिखर गये थे और व्यावसायिक एवं परम्परागत शिकारियों के भय से ये काफी अलग-थलग हो गये। इससे इनकी संख्या तेजी से कम होती चली गई।
वर्ष 1938 में वन विभाग द्वारा कराये गये सर्वेक्षण में कान्हा राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र और आसपास लगभग 3 हजार बारासिंघा थे। इसके बाद से बारासिंघा की संख्या में लगातार गिरावट आती गई और वर्ष 1953 में हुए आंकलन में यह संख्या 551 और वर्ष 1970 में मात्र 66 पर सिमट गई।